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महेश्वर के उत्सव और त्यौहार

पर्यटन एवं धार्मिक नगरी के साथ साथ महेश्वर उत्सव का भी शहर है यहाँ वर्ष भर अलग अलग प्रकार के तीज त्यौहार, धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन होते रहते है इनके से कुछ खास के बारे में जानिये...


निमाड़ उत्सव
प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन शुरू होने वाला यह तीन दिनी उत्सव "लोक संस्कृति" की छटा बिखेरता हैं । यह उत्सव निमाड़ी लोक संस्कृति को मंच पर उकेरते हुए देश भर से चुनी हुई कला और संस्कृति को निहारने का मौका देता हैं, उत्सव के दौरान जनपदी कविता, नौका सज्जा, नौका दोड़, तैराकी प्रतियोगिताये स्थानीय प्रतिभाओ को निखारने का काम करती हैं ।
यादो में:- किले की मनभावन विद्द्युत सज्जा और तट पर बनाया जाने वाला कलात्मक मंच ।


शिवरात्रि स्नान
प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि का दिन इस शहर के लिए एक दिवसीय "नर्मदा स्नान उत्सव" के समान हैं, इस दिन शहर और आस पास के ग्रामीण अंचलो से आये लगभग एक लाख से अधिक श्रद्दालु नर्मदा स्नान का पुण्य लाभ लेते हैं, इस दिन शहर में चहल पहल का दौर सुबह से शाम तक चलता हैं । विशेष व्यंजन "घेवर", जलेबी और शकरकंद खूब खाया जाता हैं ।
यादो में:- नर्मदा किनारे घाटो पर पैर रखने तक की जगह ना मिल पाना ।


नवरात्री उत्सव
भवानी माता मंदिर (सिटी मेप पेज देखे) के आस पास स्थानीय गरबा मंडलों द्वारा नौ दिन तक आकर्षक गरबो की प्रस्तुति दी जाती हैं, पास ही लगने वाले मेले में शहर और आस पास के ग्रामीण अंचलो से आये भक्तो की चहल पहल देखते ही बनती हैं । इस अवशर पर भवानी माता मंदिर को "रौशनी से सराबोर" कर पूजा अर्चना और आरती की जाती हैं ।
यादो में:- युवक युवतियों की टोलिया, बच्चो की मस्ती और एव्हर ग्रीन गरबा मंडल की प्रस्तुतिया ।


लोकपर्व गणगौर
गणगौर इस शहर का प्रमुख लोक पर्व हैं, तीन दिनों की मुख्य पूजा वाले इस पर्व से पहले घरो की साफ-सफाई की जाती हैं, पार्वती के रूप माने जाने वाले गेहू के पवित्र अंकुर "ज्वारोको विशेष प्रकार की बनावट और सजावट वाली शुन्दर रचना "रथ" में रखकर पूजा जाता हैं । फिर धूम धाम से सभी समाज के लोग ज्वारो को नर्मदा में विशर्जित करते हैं ।
यादो में:- विवाहित जोडियो द्वारा रथों को सिर रखना और विशर्जन वाली रात की चहल पहल ।


नर्मदा जयंती
प्रतिवर्ष नर्मदा जयंती पर महेश्वर के मुख्य घाट पर नर्मदा का दुद्दभिशेक करके माता को चुनरी ओढाई जाती हैं । "सादगी और पोराणिक पद्दति" से मनाई जाने वाली यह जयंती श्रधालुओ और पर्यटकों को सुखद अनुभूति कराती हैं । चलित नाव के माध्यम से माँ नर्मदा को सैकड़ो मीटर लम्बी चुनरी ओढ़ाये जाने का द्रश्य मनभावन और यादो में समां जाने वाला होता हैं ।
यादो में:- नाव के माध्यम से माता को चुनरी ओढ़ाना ।


गंगा दशमी
नर्मदा जयंती की ही तरह हिन्दू पावन पर्व "गंगा दशमी" भी यहाँ दुगुने उत्साह से मनाई जाती है, इस दिन स्नान का विशेष महत्व होने से एक दिन पहले ही शाम के समय आस पास के श्रद्धालु हजारो की संख्या में यहाँ के घाटो पर एकत्रित हो जाते हैं, शाम को पूजा, आरती के बाद एक विशेष प्रकार की चने की दाल का प्रसाद "भयडा" वितरित किया जाता हैं ।
यादो में:- भक्तो का नर्मदा स्नान और "भयडे" का स्वाद ।


मुहर्रम
इस शहर की खुशमिजाज फिजा में मुश्लिम समाज का भी योगदान हैं, मुहर्रम यहाँ "आपसी भाई चारे" की मिशाल कायम करता हैं । यहाँ हिन्दू मुश्लिम दोनों ही इस पर्व को सोहार्द के साथ मनाते हैं, सैकड़ो छोटे बड़े ताजियों को बनाने में की गयी मेहनत और कलाकारी देखने लायक होती हैं, ताजियों के विशर्जन के समय घाट पर बड़ी संख्या में लोग जमा होते हैं ।
यादो में:- मोमीनपुरे की चहल-पहल, और घाट तक जाने वाला जुलुश 


महामृत्युंजय रथ यात्रा
प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के पहले रविवार को महालक्क्षमी नगर से नर्मदा तट तक निकलने वाली महाम्रत्युन्जय रथ यात्रा, यहाँ निकलने वाली भगवान शिव की अनूठी और "पुरे विश्व की एकमात्र" यात्रा हैं । यात्रा "सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय" उद्देश्य से 'महाम्रतुन्जय न्यास' द्वारा प्रतिवर्ष निकाली जाती हैं, यात्रा का जगह-जगह स्वागत किया जाता हैं ।
यादो में:- यात्रा में सुमधुर भजनों की प्रस्तुति और यात्रा की भव्यता ।


काशी विश्वनाथ की शाही शवारी
प्रतिवर्ष श्रावण माह के अंतिम सोमवार को बस स्टेंड से काशी विश्वनाथ मंदिर तक यह सवारी निकाली जाती हैं । "सामूहिक भागीदारी" से निकाली जाने वाली इस सवारी में ढोल, तासे, डी.जे., बैंड पर झूमते युवाओ का जोश देखते ही बनता हैं, साथ में स्थानीय अखाड़ो की कलाबजिया मन मोह लेती हैं, इस समय लगता हैं, मानो भगवान शिव की बारात निकल रही हो ।
यादो में:- तासो की गूंज और युवाओ का जोश ।


अहिल्या जयंती एवं पुण्य तिथि
अहिल्या जयंती एवं पुण्य तिथि का आयोजन देवी अहिल्या को समर्पित इस शहर का "सादगीपूर्ण" आयोजन हैं । इस दिन पारंपरिक राजशाही पहनावे में देवी अहिल्या की पालकी राजवाडा और बस स्टेंड के बीच निकाली जाती है । इस अवशर पर स्थानीय देवी अहिल्या स्मृति सेवा संथान संस्था द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओ के पुरुष्कारो का वितरण किया जाता हैं ।
यादो में:- नगर में देवी अहिल्या की पालकी का निकलना ।





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