सहस्त्रधारा
शहर से लगभग 5 की.मी. दूर दत्तात्रे मंदिर के ठीक सामने सहस्त्रधारा एक "पिकनिक स्पोट" और कोटि तीर्थ का रमणीय पोराणिक स्थल हैं । कथा/मान्यता अनुसार महिष्मति (महेश्वर) नरेश सहस्त्रबाहु ने अपनी सहस्त्र भुजाओ से नर्मदा के जल प्रवाह को रोकना चाहा था, लेकिन माँ नर्मदा सहश्त्रधाराओ में विभाजित हो गई । आज भी यहाँ नर्मदा नदी का प्रवाह अनेक धाराओं में अलग अलग बंटा हुआ और तेजी से बहता हुआ देखा जा सकता है.
सहस्त्रधारा अंतराष्ट्रीय वाटर स्पोर्ट ट्रेक भी...
2016 में इंडियन कयाकिंग एवं कैनोइंग फेडरेशन (IKCA) ने सहस्त्रधारा को वाटर स्पोर्ट के लिए उपयोगी पाया और मध्यप्रदेश के खेल एवं युवक कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर उसी साल वाटर स्पोर्ट प्रतियोगिताओ के लिये तैयार किया, तब से यहाँ समय समय पर राष्ट्रिय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं आयोजित हो चुकी है, मध्यप्रेदश सलालम अकादमी एवं मध्यप्रेदश कयाकिंग कैनोइंग अकादमी के बच्चे यही पर प्रैक्टिस करते है.
इस ट्रेक की ये खूबियां है...
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1. पूरी तरह प्राकृतिक ट्रेक.
2. देश का एक मात्र प्राकृतिक ट्रेक जो साल में 10 महीने उपयोग किया जा सकता है केवल मानसून के 2 महीने पानी के खतरनाक लेवल पर पहुंच जाने से कारण बंद रहता है.
3. देश में इस प्रकार के प्राकृतिक ट्रेक जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश में है लेकिन अगस्त के बाद वे उपयोग के लायक नहीं रहते.
4. ऐसा दावा किया जाता है की यह एशिया का नंबर एक वॉटर स्पोर्ट ट्रेक है जो लगातार अतंराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है.
वॉटर स्पोर्ट प्रतियोगिताओ के समय क्लीक की गई इस ट्रेक की कुछ तस्वीरें देखिये...
चेतावनी :- इस स्थान पर नर्मदा नदी का बहाव बहुत तेज है, एवं पत्थर फिसलन वाले है, यहाँ पिछले कुछ सालो में कई दुर्घटनाएं हो चुकी है, इसलिए आपको सलाह दी जाती है तेज बहाव के बेहद नजदीक ना जाये और ना ही उसमे स्नान करे.
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